एड्स
एड्स का मतलब है उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण (Acquired Immune Deficiency syndrome)। एड्स HIV मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (Human immunodeficiency virus) से होता है जो कि मानव की प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है। जब एच.आई.वी. द्वारा आक्रमण करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षय होने लगती है तो इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स पीड़ित लोग भयानक बीमारियों क्षय रोग और कैंसर आदि से पीड़ित हो जाते हैं और शरीर को कई अवसरवादी संक्रमण यानि आम सर्दी जुकाम, फुफ्फुस प्रदाह इत्यादि घेर लेते हैं। एच.आई.वी. रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर हमला करता है। ये पदार्थ मानव को जीवाणु और विषाणु जनित बीमारियों से बचाते हैं और शरीर की रक्षा करते हैं। जब क्षय और कर्क रोग शरीर को घेर लेते हैं तो उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं और मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
क्या है HIV
एड्स यानी एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिन्ड्रोम एक बीमारी है जो ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस या एचआईवी (HIV) के कारण होती है|एचआईवी संक्रमण होने के तुरंत बाद यह एक ‘फ्लू’ जैसी बीमारी होती है. फ्लू केवल कुछ दिनों तक रहता है और बहुत हल्का होता है इस कारण लोग इसे पहचान नहीं पाते| यह वायरस धीरे-धीरे व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम कर देता है. जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इतनी कम हो जाती है कि वह संक्रमण का विरोध नहीं कर पाता, तो कहा जाता है कि व्यक्ति को एड्स हो गया है|
एड्स के लक्षण
- एड्स मे व्यक्ति को सिर दर्द और थकान का अनुभव होता है|
- इस रोग में व्यक्ति को बुखार हो जाता है|
- व्यक्ति के गले में खराश रहती है|
- इस रोग में व्यक्ति को भूख कम लगती है और उनका वजन कम होने लगता है|
- इस रोग में व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई का अनुभव होता है|
- शरीर पर कई तरह के निशान का होना|
- मतली, उल्टी आना |
- लसीकाओं में सूजन आ जाती है|
एड्स के कारण
- अगर सामान्य व्यक्ति किसी पीड़ित व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित करता है तो यह रोग होता है|
- संक्रमित व्यक्ति का ब्लड अॅसंक्रमित व्यक्ति को देने से इस रोग के होने की संभावना बढ़ जाती है|
- संक्रमित ऑर्गन ट्रांसप्लांट से भी व्यक्ति को एड्स हो जाता है |
- अगर कोई महिला एच आई वायरस से संक्रमित है तो वह स्तनपान के द्वारा अपने बच्चे को भी इस रोग से संक्रमित कर सकती है|
एड्स से बचाव के उपाय
- उपयोग किए हुए इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये एच.आई.वी. संक्रमित हो सकते हैं।
- डॉक्टर को खून चढ़ाने से पहले पता करना चाहिए कि कहीं खून एच.आई.वी. दूषित तो नहीं है।खून चढ़ाने से पहले उसकी अच्छी तरह से जांच कर लेनी चाहिए|
- पीड़ित साथी या व्यक्ति के साथ योनि सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिएऔर सावधानीपूर्वक कंडोम का प्रयोग करना चाहिए।
- सामान्य व्यक्ति को एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के वीर्य, योनि स्राव अथवा रक्त के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
- दूषित रक्त के संपर्क में आने से बचना चाहिए|
एड्स से बचने के लिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे
- काली तुलसी के पत्ते , गिलोय के जड़ की खाल , हरसिंगार के पत्ते , नीम के कोमल एवं ग्वारपाठा का गूदा इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर खूब महीन पीसकर 1 घंटे तक खरल में घोटेइसमें 10 दाने काली मिर्च के डालकर आधा घंटा तक घोटे| इस मिश्रण का 50 ग्राम सुबह,50 ग्राम शाम को पीने से शरीर के सभी प्रकार के विषाणु नष्ट हो जाते हैं और शरीर स्वस्थ होकर गुलाब की तरह खिल जाता है|
- धतूरे की जड़ की छाल , बरगद के कोमल टू से इन दोनों को खूब किस कर चार गुना पानी और बराबर मात्रा में गाय का घी लेकर एक मिट्टी की हांडी में रखकर गर्म करें| हल्की आंच पर गर्म करते हुए जब सारा पानी जलकर केवल घी रह जाए तो उसे छानकर बोतल में बंद कर ले|10 ग्राम प्रतिदिन खाएं साथ में ग्वारपाठे की गुदे का शरबत एवं गिलोय का काढ़ा पिएइस नुस्खे से शरीर के विषाणु नष्ट होते हैं और रक्त के श्वेत कणों में वृद्धि होती है|
- केले के तने प्रतिदिन सुबह बासी मुंह पिएशाम में एक चावल भर केसर गर्म दूध के साथ पिए|
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