डैंड्रफ हेयर की समस्या एक आम समस्या बन गई है महिला हो या पुरुष सब लोगों में यह समस्या देखने को मिलती है|डैंड्रफ को स्क्रफ के नाम से भी जाना जाता है जब सिर की त्वचा की कोशिकाएं मर जाती है तो वह पपड़ी की तरह हट नहीं लगती है जिसे रूसी कहा जाता है| रूसी होने पर बाल रूखे हो जाते हैं और बेजान से लगते हैं|बालों की रूसी के प्रति सावधानियां बरतनी चाहिए ऐसा न करने पर हम गंजेपन का शिकार भी हो सकते हैं| बालों की ठीक तरह से देखभाल न करने पर रूसी की समस्या उत्पन्न हो जाती है जिससे बाल पतले और झड़ने लग जाते हैं|
धूल मिट्टी के संपर्क में आने से, तनाव होने पर , मौसम में बदलाव आने के कारण, हारमोंस में परिवर्तन आने के कारण, बालों में डैंड्रफ होने की समस्या बढ़ जाती है|कई बार धूप में जाने से भी विटामिंस कम हो जाते हैं जिससे बालों में डैंड्रफ की समस्या उत्पन्न हो जाती है|कुछ आयुर्वेदिक उपाय करने पर डैंड्रफ हेयर की समस्या को दूर किया जा सकता है|
डैंड्रफ हेयर
डैंड्रफहेयर के लक्षण(Dandruff symptoms)
सिर में रूसी होने के कारण खुजली होने लगती है|
डैंड्रफ होने के कारण सिर में दाने निकल आते हैं जिन में द्रव पदार्थ भरा होता है|
बालों का झड़ना|
बालों का पतला होना|
बालों में रूखापन आ जाना|
बालों में त्वचा का लाल हो जाना|
डैंड्रफ हेयर होने के कारण (Dandruff causes)
चरम रोग- त्वचा के रोग होने पर डैंड्रफ की समस्या होने लगती है जब किसी को एक्जिमा नामक त्वचा संबंधी रोग होते हैं तो डैंड्रफ की समस्या उत्पन्न होती है|
मानसिक तनाव– मानसिक तनाव होने के कारण भी सिर में डैंड्रफ की समस्या उत्पन्न हो जाती है इसलिए मानसिक तनाव को दूर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद करनी चाहिए|
गरम पानी का प्रयोग- सर्दियों में गर्म पानी से नहाने से सिर में डैंड्रफ की समस्या हो जाती है|
शैंपू का ज्यादा प्रयोग- शैंपू का ज्यादा प्रयोग करने से बालों में रूसी और डैंड्रफ जैसी समस्याएं होने लगती है| डैंड्रफ की समस्या से छुटकारा पाने के लिए हर्बल शैंपू को प्रयोग में लाना चाहिए|
हारमोंस में परिवर्तन –हारमोंस में परिवर्तन आने के कारण सिर में रूखी की समस्या हो जाती है और डैंड्रफ बढ़ने लगता है|
मौसमी बदलाव- मौसम में बदलाव आने के कारण डैंड्रफ जैसी समस्या बढ़ जाती है|
ऑयली बाल- जंक फूड का सेवन करने से बाल ऑयली हो जाती है जिसके कारण सिर में डैंड्रफ की समस्या हो जाती हैऔर हेयर फॉल होने लगता है|
रूखी त्वचा- अगर आप की सिर की त्वचा रूखी है तो आपके सिर में डैंड्रफ होने की आशंका बढ़ जाती है|
ठीक ढंग से कंघी ना करना- प्रतिदिन ठीक ढंग से कंगी ने करने से बाल रूखे हो जाते हैं और डैंड्रफ हेयर की समस्या हो जाती है|
अन्य कारण-एड्स और थायराइड से ग्रस्त लोगों में डैंड्रफ की समस्या अधिक देखने को मिलती है|महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है|
बालों में रूसी हटाने के आयुर्वेदिक उपाय(Dandruff treatment)
कपूर और नारियल का तेल- थोड़ा सा नारियल तेल ले उसमे आधा चम्मच कपूर का पाउडर मिलाकर बालों की जड़ों में लगा ले और थोड़ी देर बाद बालों को धो ले ऐसा करने से डैंड्रफ हेयर की समस्या दूर होती है|
सरसों का तेल और नींबू- थोड़े से सरसों के तेल में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर बालों में मसाज कर लें और आधे घंटे बाद सिर को धो ले ऐसा करने से रूसी की समस्या दूर होगी|
नीम-नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उबले हुए पानी से सिर धोने से डैंड्रफ हेयर की समस्या दूर होती है|
बादाम रोगन शिरीन तेल- बादाम रोगन शिरीन तेल को बालों में लगाने से रूसी की समस्या दूर होती है|
मुल्तानी मिट्टी- मुल्तानी मिट्टी को लस्सी में भिगोकर सिर धोने से भी रूसी की समस्या दूर होती है|
आंवला –आंवला, रीठा, शिकाकाई को रात को पानी में भिगोकर सुबह इस पानी से सिर धोने से डैंड्रफ हेयर की समस्या होती है|
अंडा– अंडे को बालों में लगाने से डेंड्रफ की समस्या दूर होती है और बाल चमकदार बनते हैं अंडे को बालों में थोड़ी देर लगा कर थोड़ी देर बाद फिर धो ले|
काली मिर्च और सीताफल के बीज– सीताफल की आठ-दस बीज और चार पांच काली मिर्च पानी में पीसकर देसी घी में मिलाकर मालिश करने से डेंड्रफ की समस्या से निजात मिलता है|
प्याज का रस-प्याज को पीसकर प्याज का रस निकालकर बालों में मसाज करने से डैंड्रफ हेयर की समस्या से निजात मिलता है|
नीम
डैंड्रफ हटाने के लिए शैंपू(Dandruff shampoo)
काया एंटी डैंड्रफ शैंपू-काया एंटी डैंड्रफ शैंपू का प्रयोग करने से डैंड्रफ की समस्या दूर होती है खुजली की समस्या से निजात मिलता है और बालों के रूखे पन की समस्या भी दूर होती है|
आयुष एंटी डैंड्रफ नीम शैंपू– इस शैंपू का प्रयोग करने से बालों की जड़ों को पोषण मिलता है जिससे बाल लंबे होने लगते हैं और खुजली की समस्या भी दूर होती है व डैंड्रफ हेयर की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है|
खादी नीम और एलोवेरा शैंपू-शैंपू का प्रयोग करने से डैंड्रफ हेयर की समस्या दूर होती है|
हिमालया हर्बल एंटी डैंड्रफ शैंपू –इस शैंपू में एंटीमाइक्रोबियल्स गुण पाए जाते हैं शैंपू का प्रयोग करने से बालों की रूसी की समस्या दूर होती है और बालों को पोषण भी मिलता है जिससे बाल मजबूत बनते हैं|
मैट्रिक्स बॉयोलाज एडवांस स्कैल्प प्योर डैंड्रफ शैंपू-शैंपू में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं और पायरी थियून जिंक भी पाया जाता है जो डैंड्रफ को कम करता है|शैंपू खुजली की समस्या भी दूर होती है|
हेड एंड शोल्डर स्मूथ एंड सिल्की शैंपू-यह शैंपू लंबे समय से प्रयोग में लाया जा रहा है शैंपू को प्रयोग में लाने से बालों की रूखी की समस्या डैंड्रफ हेयर की समस्या दूर होती है|
ब्रेस्ट कैंसर की समस्या एक आम समस्या हो चुकी है |पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है|अगर इस समस्या का समय पर इलाज नहीं किया जाए तो यह बीमारी का गंभीर रूप धारण कर सक्ती है |सही समय पर लक्षण पता चलने पर इलाज शुरू होने से ब्रेस्ट कैंसर नामक बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है |इस रोग में व्यक्ति को गांठ का अनुभव होता है| गांठ होना कैंसर की शुरुआत का मुख्य कारण है| अगर आपको ऐसा अनुभव होता है तो तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए|
ब्रेस्ट कैंसर
क्यों होता है ब्रेस्ट कैंसर
महिलाओं में ब्रेस्टकैंसर होने के मुख्य कारण हो सकते हैं जिन महिलाओं में मासिक धर्म जल्दी शुरू होकर देर से खत्म होता है या जिन महिलाओं के बच्चे ने हो और जो देर से ही मां बनी हो उन महिलाओं को इस रोग का खतरा होने की संभावना ज्यादा होती है|
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
स्तन की गोलाई में कोई बदलाव, जैसे- एक से दूसरे का बड़ा होना स्तन कैंसर का मुख्य लक्षण है|
स्तन में दर्द या गांठ का महसूस होना स्तन कैंसर का मुख्य लक्षण है|
स्तन से रस जैसे कुछ पदार्थ का निकलना|
निपल्स का लाल पड़ना|
स्तन में सूजन |
स्तन के आकार में बदलाव |
स्तन को दबाने पर दर्द न होना|
ब्रेस्ट कैंसर होने के कारण
बढ़ती उम्र|
ज़्यादा उम्र में पहले बच्चे का जन्म|
आनुवांशिकता (heredity)
शराब जैसे पेय पदार्थ का अधिक सेवन|
ब्रेस्ट कैंसर को रोकने के घरेलू उपाय
आयोडीन-कई बार खाने में आयोडीन की कमी होने पर शरीर में गांठ पड़नेलगती है इसलिए अपने खाने में आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें।
कैफीनन ले-कोई भी ऐसा पेय पदार्थ पीने से परहेज रखें जिसमें कैफीन का मात्रा हो। कैफीन से गांठ का विकास घटने की बजाए बढ़ता है।
हरी सब्जियां-भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर शामिल करें। इनमें एस्ट्रोजन होता है जो किसी भी तरह की दर्द और खिंचाव से आराम दिलाता है।
स्तनों की मसाज-स्तनों की मसाज सही तरीके से करने से भी गांठ पिघल जाती है। इससे रक्त का संचार अच्छी तरह होता है और लम्फ ग्लैंड्स के द्वारा सिस्ट से फ्लूएड बाहर निकल जाता है|
जूस-हर रोज अंगूर या अनार का जूस पीने से कैंसर से बचाव होता है|
लहसुन-.प्रतिदिन लहसुन का सेवन करने से स्तन कैंसर की संभावनाओं को रोक सकते हैं|
ग्रीन टी-.एक गिलास पानी में हर्बल ग्रीन टी को आधा होने तक उबालें और फिर पी लें |
ब्रेस्ट कैंसर को रोकने के लिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे
काली मिर्च-काली मिर्च में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं इसलिए यह किसी भी प्रकार के कैंसर से आपकी सुरक्षा करता है। इसमें पैपरीन होता है, जो एंटी कैंसर के रूप में प्रयोग किया जाता है।
लहसुन-लहसुन में भी एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में होते हैं, जिससे यह भी एंटी कैंसर आहार माना जाता है। यह कार्सिनोजेनिक कंपाउन्ड को बनने से रोकता है और कैंसर से शरीर की सुरक्षा करता है।
हल्दी-हल्दी प्रकृति की अद्भुत देन है, जिसमें कई सारे अवगुणों से लड़ने की शक्ति होती है। यह शरीर में कैंसर की बीमारी पैदा होने से बचाती है। यहहमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाती है। इसके साथ ही हल्दी में करक्यूमिन नामक फाइटोन्यूट्रिएंट होता है, जो कैंसर से शरीर की सुरक्षा करता है।
अखरोट-अखरोट का सेवन भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे से बचाने में मदद करता है|
गर्भनिरोधक गोलियां – गर्भनिरोधक गोलियांज्यादा खाने से ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन नहीं करना चाहिए|
फलो का सेवन-खट्टे फलों का सेवन करना भी सतन का कैंसर होने से बचाता है|
पसीने की बदबू आने का मुख्य कारण फिश ओडोर सिंड्रोम को माना जाता है जिसे असामान्य जीन में गड़बड़ी कहते हैं | एमएसओ 3 नामक जीन में गड़बड़ी होने के कारण शरीर से पसीने की बदबू आने लगती है| शरीर के तापमान में संतुलन बनाए रखने के लिए शरीर से पसीना निकलने लगता है | यह शरीर के तापमान में संतुलन बनाए रखता है |बैक्टीरिया पसीना आने कादूसरा मुख्य कारण है बैक्टीरिया एपोक्राइन ग्रंथि के उत्सर्जन से पैदा होते हैं और गतिविधि होने पर ही बढ़ते हैं| यह एमीनो एसिड का निर्माण करते हैं जिसके कारण शरीर से पसीने की बदबू आने लगती है|
सीने में दो प्रकार की ग्रंथियां पाई जाती है:
पसीना आने वाली पहली ग्रंथि को एक्करीन स्वेट ग्लैंड के नाम से जाना जाता है| यह शरीर के बाहरी हिस्से में मौजूद होता है जब शरीर में गर्मी लगने लगती है तब यह ग्रंथि पानी और नमक का निर्माण करती है जिसे सफेद तरह का पसीनाआने लगता है |
पसीना आने वाली दूसरी ग्रंथि को एपोक्राइन इंग्लैंड के नाम से जाना जाता है यह फॉलिकल से संबंधित होता है और हारमोंस की वजह से प्रतिक्रिया देने लगता है |यह शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने में हमारी मदद करता है |
पसीने की बदबू
पसीने की बदबू के लक्षण
माउथ फ्रेशनर का इस्तेमाल करना|
मुंह को किसी कपड़े से ढक कर रखना|
सांसों में से गंध आने लगती है|
पेशाब से गंध आने लगती है|
ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है|
शरीर से बहुत अधिक पसीना निकलने लगता है|
शरीर की कमजोरी का अनुभव होना|
पसीने की बदबूका कारण
बैक्टीरिया-बैक्टीरिया पसीना आने का मुख्य कारण है| बैक्टीरिया एपोक्राइन ग्रंथि के उत्सर्जन से पैदा होते हैं और गतिविधि होने पर ही बढ़ते हैं यह एमीनो एसिड का निर्माण करते हैं जिसके कारण शरीर से पसीने की बदबू आने लगती है|
सांसों की गंध- सांसो में बदबू पसीना आने का मुख्य कारण है |नींदों में सांस न ले पाने की वजह से आपका मुंह सूखने लगता है और मुंह से गंध आने लगती है|
पेशाब से गंध आना– बैक्टीरिया के मूत्र मार्ग में प्रवेश कर जाने के कारण पेशाब से गंध आने लगती है जिसके कारण यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन हो सकता है|
ब्लड शुगर-ब्लड शुगर बॉडी ओडोर (बॉडी गंध) का मुख्य कारण है शरीर में पाए जाने वाले कीटोन तत्वों से पता चलता है कि आपके खून में शुगर है जिन लोगों में शुगर होती है उनके मुंह से बदबू आने लगती है अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो व्यक्ति की मृत्यु का कारण भी बन सकती है|
पैरों से बदबू आना- बैक्टीरिया और फंगस के कारण पैरों की उंगलियों से बदबू आने लगती है और त्वचा रूखी पड़ जाती है|
पैरों से बदबू आना- बैक्टीरिया और फंगस के कारण पैरों की उंगलियों से बदबू आने लगती है और त्वचा रूखी पड़ जाती है|
खानपान-मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन करने से शरीर में गर्मी लगने लगती है और पसीना आने लगता है जिसके कारण गंध आने लगती है इसलिए अपने प्रतिदिन के आहार में विटामिन , कैलशियम , मैग्निशियम मिनट वाले पदार्थों को शामिल करें|
मल में गंध आना- जब आपका शरीर खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले लेक्टोज को पचाने में सहायक हो जाता है जिससे गैस बनने लगती है मल में से भी गंध आने लगती है|
बाल -शरीर के बालों को साफ करके शरीर की गंध को दूर किया जा सकता है बालों को साफ करने के लिए करीम वैक्सिंग या शेविंग का इस्तेमाल करके शरीर से पसीने की बदबू को दूर किया जा सकता है|
हारमोंस में परिवर्तन-हारमोंस में बदलाव आने के कारण पसीना आने लगता है जिससे शरीर से पसीने की बदबू आने लगती है|
मौसमी बदलाव- मौसम में बदलाव आने के कारण भी पसीना आने लगता है जिससे गंध आने लगती है|
मानसिक तनाव- तनाव, चिंता होने के कारण व्यक्ति को पसीना आने लगता है व्यक्ति अन्य बीमारियों की चपेट में भी आ सकता है|
पसीने की बदबू को दूर करने के लिए घरेलू उपाय (Body odor remedies)
बेकिंग सोडा –एक चम्मच बेकिंग सोडे में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर अंडर आरंभ या शरीर के अन्य अंगों भी पसीना आता है वहां लगाएं और 3 से 4 मिनट बाद धो लें ऐसा करने से तन की दुर्गंध दूर होगी|
टमाटर- टमाटर में एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं जो दुर्गंध को दूर करने में हमारी मदद करते हैं 5 से 6 टमाटर को पीसकर उन्हें नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने से दुर्गंध से राहत मिलती है|
नींबू का रस- नींबू के रस में एसिडिक गुण पाए जाते हैं जो बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं नहाते समय पानी में नींबू का रस मिलाकर स्नान करने से पसीने की बदबू को दूर किया जा सकता है|
टी ट्री ऑयल- टी ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं जो बैक्टीरिया को नष्ट करने में हमारी मदद करते हैं टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदों को तुलसी के पत्तों केपीसी हुए पाउडर में मिलाकर प्रयोग में लाने से पसीने की बदबू को दूर किया जा सकता है|
खीरा- खीरे में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं इसलिए खीरे की स्लाइस को काटकर अपने शरीर पर रगड़ने से दुर्गंध को दूर किया जाता है|
पानी का सेवन- अधिक मात्रा में पानी पीने से शरीर की दुर्गंध दूर हो जाएगी|
गाजर- गाजर का जूस पीने से तन की दुर्गंध को दूर किया जा सकता है इसलिए प्रतिदिन के आहार में गाजर को शामिल करें|
स्वप्रतिरक्षित रोग का सबसे सामान्य लक्षण है | सूजन ,थकान ,जोड़ों में दर्द , स्किन रैशेज़ और पाचन संबंधित परेशानियां आदि ऑटोइम्यून विकार की निशानी हैं। कई लोगों को ऑटोइम्यून विकार की वजह ये इस तरह की दिक्कतें आती हैं।ऑटोइम्यून बीमारी आपके पूरे शरीर में होती है। इतना ही नहीं इस बीमारी के कारण आपको रूमेटाइड अर्थराइटिस, टाइप1 डायबिटीज, थायराइड समस्या, ल्यूपस, सोराइसिस, जैसी कई बीमारियां हो सकती है|
स्वप्रतिरक्षित रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होता है इसका एक कारण महिलाओं के हार्मोंस भी होते हैं। माना कि महिलाएं इस तरह के रोगों की चपेट में ज्यादा आती हैं लेकिन ऐसा नहीं है पुरुषों को स्वप्रतिरक्षित रोग बिलकुल भी नहीं होते हैं।
आजकल ऑटोइम्यून बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं और खासतौर पर महिलाएं इसका शिकार हो रही हैं।महिलाओं में ये रोग प्रजनन की उम्र से शुरु हो जाता है।
स्वप्रतिरक्षित रोग केलक्षण(Autoimmune symptoms )
मांसपेशियों में कमजोरी होना|
पेट में दर्द होना और पेट के निचले भाग में सूजन आना|
जोड़ों में दर्द होना|
वजन का कम होना|
हमेशा थका हुआ महसूस करना|
हाथ और पैरों का सुन हो जाना|
कारण(Autoimmune causes)
इम्यून सिस्टम डिस्ऑर्डर किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है। ऐसे कई तरह के ऑटोइम्यून रोग हैं जिनमें इम्यून सिस्टम गलती से खुद ही शरीर के अंगों और ऊतकों पर हमला कर देता है|
इम्यून सिस्टम डिस्ऑर्डर किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है। ऐसे कई तरह के ऑटोइम्यून रोग हैं जिनमें इम्यून सिजब इम्यून सिस्टम के साथ कुछ गलत होता है और ये खुद ही अपनी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करना शुरु कर देता है तो इसे ऑटोइम्यून रिस्पॉन्स कहा जाता है। शरीर की इम्युनिटी सामान्य कार्य करने के दौरान कैंसर में तब्दील होने वाले कीटाणुओं और नुकसानदायक कोशिकाओं को नष्ट करती है।
ऑटोइम्यून को रोकने के लिए आयुर्वेदिक उपाय(Autoimmune Diseases diet)
विटामिन डी एक ऐसा पोषक तत्व है जो ऑटोइम्यून डिजीज को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है विटामिन डी लेने का सबसे सुरक्षित तरीका सूरज की रोशनी में कुछ देर बैठना है|
विटामिन डी हमें संक्रमण से लड़ने के लिए क्षमता प्रदान करता है|
आप जितना आराम करेंगे आपके शरीर को उतनी ही एनर्जी प्राप्त होगी और आपका इम्यून सिस्टम भी ठीक रहेगा|
तनाव से दूर रहे तनाव से पाचन तंत्र प्रभावित होने के कारण आपका इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है और आप कई बीमारियों की चपेट में आने लगते हैं तनाव के कारण कोलेस्ट्रोल नामक हार्मोन मोटापा हृदय रोग कैंसर आदि बीमारियों के होने की संभावना रहती है|
ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनोलिक नामक तत्व में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह अर्थराइटिस से संबंधित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में परिवर्तन के लिए प्रेरित करता है। मछली के तेल में महत्वपूर्ण ओमेगा -3 फैटी एसिड होता है। ये फैट शरीर में सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कम करने में मददगार होता है।
हल्दी ऑटोइम्यून डिजीज से लड़ने में मदद करती है।हल्दी में कुरकुमिन होता है जो सूजन को कम करके ऑटोइम्यून डिजीज से लड़ने के लिए एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाते हैं। यह अर्थराइटिस जैसी डिजीज को दूर करने में मदद करता है। इसका सेवन करने के लिए 1 कप दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर गर्म करके सोने से पहले पिएं।
अदरक में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण ऑटोइम्यून डिजीज से लड़ने में मदद करते हैं। अदरक का सेवन करने के लिए आधाकप पानी में आधा चम्मच कद्दूकस करा हुआ अदरक डालकर 5-7 मिनट तक पानी को गरम करके पानी को छानकर उसमें नींबू का रस और स्वाद अनुसार शहद मिलाकर दिन में 2-4 बार पिएं।
सेब का सिरका–ऑटोइम्यून डिजीज के लिए सेब के सिरके का सेवन लाभकारी होता है। इसमें विटामिन बी5 काफी मात्रा मेहोता है जो सूजन और दर्द को कम करता है। इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फॉस्फोकस होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं। इसका सेवन करने के लिए 1 चम्मच सेब का सिरका, 1 टुकड़ा अदरक एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर इसे मिक्स करें। उसके बाद 1 चम्मच शहद मिलाएं।
एलोवेरा जेल में सेलिसिलिक एसिड और ल्यूपिओल होता है जो दर्द कम करने के लिए केमिकल होता है इसके साथ ही यह एक फैटी एसिड होता है जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो जोड़ों के दर्द के लिए प्रभावी होता है। एलोवेरा का सेवन करने के लिए ताजी एलोवेरा के पत्ते से जेल निकालकर 1 गिलास पानी में 2 चम्मच एलोवेरा जेल और नींबू का रस मिलाकर ब्लेंड कर लें। उसके बाद इसका सेवन करें।
अनुलोम विलोम करें यह आपके शरीर के उर्जा चैनलों को खाली करने और शुद्ध करने में मददगार साबित होता है यह आपके फेफड़ों को स्वस्थ रखता है और तनाव को भी कम करता है यह नर्वस सिस्टम को जिले में लाता है जिससे आप को शांति का अनुभव होता है|
ऑटोइम्यून से बचने के लिए हमें ध्यान करना चाहिए ऑटोइम्यून वाले लोग डिप्रेशन जैसी समस्याओं का अनुभव करते हैं ध्यान लगाने से हम इन बीमारियों को होने से रोक सकते हैं|
प्रारंभिकगर्भपात की समस्या एक आम समस्या बन गई है |स्त्री द्वारा धारण किया गया गर्भ समय से पहले गिर जाए तो उसे प्रारंभिक गर्भपात कहते हैं | प्रारंभिकगर्भपात जितना शारीरिक रूप से तकलीफ देता है उतना ही मानसिक रूप से महिला को कमजोर बना देता है ऐसे में जरूरी है कि जिस महिला का गर्भपात हुआ हो उसे मानसिक रूप से उबरने में उसकी मदद की जाए जिस स्त्री को लगातार तीन बार गर्भपात हो जाते हैं उस महिला को गर्भपात से पीड़ित कहा जाता है| 5 में से एक गर्भवती महिला का गर्भावस्था के 20 वें सप्ताह से पहले गर्भपात हो जाता है|
प्रारंभिकगर्भपात
प्रारंभिकगर्भपात के लक्षण
योनि से रक्तस्राव-योनि से रक्तस्राव आमतौर पर गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में हल्की ब्लीडिंग होना सामान्य होता है| चिंता का विषय तब है जब आप को थको के साथ ज्यादा ब्लीडिंग हो और ब्लडिंग के दौरान ब्लड का रंग बुरा या गहरे लाल होतो यह गर्भ गिरने का लक्षण है|
पीठ में दर्द –पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना प्रारंभिकगर्भपात का संकेत हो सकता है| जब गर्भ गिरने को होता है तब जलन पसलियों में , पेट में दर्द प्रदर या पेशाब रुक जाए तो समझ लेना चाहिए कि गर्भ गिरने के लक्षण है|
कई बार आधा गर्भपात हो जाता है और आधा अंदर ही रह जाता है तो ऐसे में पूरा गर्भपात डॉक्टर से करवाना आवश्यक है|
गर्भ गिरने के कारण
पेट पर बहुत ज्यादा दबाव पडना-गर्भावस्था के दौरान महिला के पेट पर चोट लगती है तो गर्भपात भी हो सकता है|
योनि में किसी तरह का संक्रमण होना-महिलाओं की योनि में संक्रमण होना सामान्य बात है| ऐसे में बार-बार होने वाला योनि संक्रमण प्रारंभिक गर्भपात का मुख्य कारण बन सकता है|
इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर– कई बार इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर में अस्थमा , एलर्जी , थायराइड या मधुमेह जैसी समस्याएं हो सकती है जिनके कारण गर्भाशय में बच्चे का विकास नहीं हो पाता है इस वजह से भी प्रारंभिक गर्भपात हो सकता है|
गर्भाशय सामान्यता– जब महिला के गर्भाशय का आकार असामान्य होता है तो गर्भपात की स्थिति बन सकती है ऐसे में बच्चे का विकास नहीं हो पाता|
प्रारंभिकगर्भपात रोकने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे
आंवले के मुरब्बे की एक गुठली चांदी के वर्क में लपेटकर खिलाएं और बराबर सेवन कराते रहने से गर्भपात होने से बचाव रहता है|
भौरी के घर की मिट्टी , मोगरे के फूल , लज्जा बनती धाय के फूल , पीला गेरू , सोता और शुद्ध राल इनमें से जितनी भी चीजें मिल सके उन सब का बारीक चूर्ण करके शहद में मिलाकर जुटाने से गिरता हुआ गरम रुक जाता है|
गोखरु , मुलहठी , पियाबासा इनके कलक से दूध पकाकर पीने से गर् गर्भवती महिला का दर्द शांत हो जाता है|
नीले कमल , लाल कमल , नीलेश्वर सफेद , बबूल और मुलहठी इन का काढ़ा बनाकर पीने से बार बार गर्भ से आने वाला खून रुक जाता है|
शहद और बकरी के दूध में कुम्हार के हाथ की मिट्टी मिलाकर खाने से गिरता हुआ गर्भ ठहर जाता है|
कबूतर की बीट, शाली चावलों के जल के साथ पीने से गर्भपात के उपद्रव दूर हो जाते हैं|
सिंघाड़ा , कमल , केसर , दाख , कसेरू , मुलहठी और मिश्री इनको गाय के दूध में पीसकर पीने से गर्भस्त्राव बंद हो जाता है|
गर्भवती महिला की कमर में अकेला कोहरबा बांध देने से गर्भ नहीं गिरता इसी कोहरबा को गले में बांधने से कमल वायु आराम हो जाती है और छाती पर रखने से प्लेग भाग जाता है|
अगर गर्भ में चलाएं मान हो तो गाय के दूध में कच्चे गूलर पका कर पीने से लाभ मिलता है|
सिंघाड़े, कसेरू ,कमल और मुलेठी इनको पीस छान और मिश्री मिलाकर दूध के साथ पीने से गर्भस्त्राव आदि उपकरण नष्ट हो जाते हैं|
गर्भवती महिला के बाए हाथ में जम्मू रद्द की अंगूठी पहना देने से खून बहना या रक्त स्त्राव होना बंद हो जाता है|
मुलेठी
प्रारंभिकगर्भपात के बाद सावधानियां
प्रारंभिक गर्भपात के बाद महिला की देखभाल और अच्छी तरह करने की जरूरत होती है|
प्रारंभिक गर्भपात के दौरान थोड़े समय तक यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए |
गर्भावस्था के दौरान जब तक आप के दो मासिक धर्म की धातु प्रक्रिया पूरी ना हो जाए तब तक दूसरी गर्भावस्था को शुरू करने के बारे में न सोचे|
अगर प्रारंभिक गर्भपात के बाद महिला को बुखार आ जाता है तो तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लें|
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